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Wednesday, June 8, 2022

सृजन की लीला - Srijan ki Lila - Play of Creation


पुराने मरते शरीरों से
नया इंसान जनम लेगा।
पुरानी सृष्टि की कब्र पे ही
नया जंगल खड़ा होगा।

यह मौत नहीं है जीवन है,
नित्य सृजन की लीला है।

मुरझाए सूखे फूलों से
नई कलियां खिल आएंगी।
पेड़ों की पुरानी शाखों में ही
नई टहनियां निकलेंगी।

यह मौत नहीं है जीवन है,
नित्य सृजन की लीला है।

पुराने सड़ते पत्तों से
नये पौधें शकल लेंगे।
कीटों के अवशेषों से ही
नये केचुएं पैदा होंगे।

यह मौत नहीं है जीवन है,
नित्य सृजन की लीला है।

पुराने टूटे बस्तियों से
नया शहर खड़ा होगा।
पुराना किला जहां आज है,
वहां कल नया घर होगा।

यह मौत नहीं है जीवन है,
नित्य सृजन की लीला है।

पुराने भूले भटकों को
नई राह दिखलेगा।
हुए गुमराह जो आज हैं,
उन्हें भी अकल आयेगा।

यह मौत नहीं है जीवन है,
नित्य सृजन की लीला है।

पुराने दिल के अफसोसों में
नये उमंग आ जायेंगे।
तड़पते हुए बेजुबानों में भी
नये सुर धुन लेंगे।

यह मौत नहीं है जीवन है,
नित्य सृजन की लीला है।

पुराने दुखों की छाया से
नई खुशियां पनपेंगी।
पुराने बिलखते लोगों में ही
नई आशा भी आयेगी।

यह मौत नहीं है जीवन है,
नित्य सृजन की लीला है।

पुरानी मिटती मानवता से
नया मानव उभरेगा।
पुराना समाज जाने पर ही
नया नियम चालू होगा।

यह मौत नहीं है जीवन है,
नित्य सृजन की लीला है।

जहां जनम आज, कल मरण होगा,
खुशियां जहां, वहां कल दुख होगा,
विपरीत भी बिलकुल इसका सही है
बदलाव जीवन का ही ढंग है।

डर और मातम के अंधेर से
कल सुख-चैन की भी सुबह होगी।
और बंजर मरती मिट्टी में हम,
फूंक देंगे जीवन हरियाली।

यह मौत नहीं है जीवन है,
नित्य सृजन की लीला है।

-- नयन
बुधवार, 8 जून, 2022
पटना

(Image Courtesy: https://www.azocleantech.com/amp/article.aspx?ArticleID=1007 )

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