चाहे कहीं भी मैं रहूं,
याद रहेगा धड़कनों में -
दोस्तों के दिए इज्जत,
उनके दिलोजान भरे प्यार,
और उनकी दोस्ती ।
ना कोई हासिल हुआ मुकाम ऐसा,
न ही शख्सियत हूं मैं कोई खास,
फिर भी, सत्कार मिला मुझे इतना!
क्या पिछले जन्मों का करम है?
इस जनम में दोस्त मिलें है बड़े ही खास!
जेठ की दुपहरिया से कठोर पलों में
सर के सिरहाने रखे ये पल
जैसे बारिश की हल्की मंद बूंदें
भींगी मिट्टी की सुगंध से
गर्मी की थकान मिटा रही हो।
ना कुछ है मेरा, न कहीं का मैं ठहरा,
जो पथ चला हूं, उसपर
बस करम का ही है सहारा,
और दिल में हैं दुआएं अपार,
हर एक के लिए, सब के लिए।
- नयन
Thu, 17th May 11pm - Fri, 18th May 5.46am (2018)
On bus, Bangalore to Coimbatore
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