कुछ कर्मों का
प्रायश्चित संभव नहीं,
बस पश्चाताप ही है शेष!
कुछ लतों का
त्याग संभव नहीं,
बस तड़प ही है शेष!
कुछ गलतियों का
सुधार संभव नहीं,
बस दंड ही है शेष!
कुछ रोगों का
निरामय संभव नहीं,
बस भुगतना ही है शेष!
कुछ दुखों का
अंत संभव नहीं,
बस दर्द ही है शेष!
-- नयन
रवि, 11 अगस्त 2024
सुबह 9:30, आसनसोल
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