हे आनंददाता,
बंधनमुक्त कीजिए प्रभु!
हे भाग्यविधाता,
मुक्ति दीजिए प्रभु!
जब आप हैं स्वयं
सत चित आनंद,
तब क्यों यह रहे
असत, बेहोश, निरानंद?
हे सत्यस्वरूप,
मिथ्या भंजन कीजिए प्रभु,
हे मायामुक्तरूप,
शाश्वत सत्य में लाइए प्रभु!
जो है मिथक,
उसे कब तक ढोए यह?
जो है नेत्र छानी,
उसे कब तक संवारे यह?
हे चिदात्मरूप,
मनभ्रम कीजिए खंडन प्रभु,
हे अंतरात्मा, अंतर्यामी,
चैतन्य का स्पर्श दीजिए प्रभु!
~ नयन,
रवि, 18 अगस्त 2024
दोपहर 1 बजे, पटना
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