आज मन ठीक नहीं है न?
पर कोई नहीं,
हर दिन थोड़े ही न
एक सा रहता है।
कभी किसी अपने को लेकर
दुखी होता है,
तो कभी किसी की बातों में
उलझ जाता है,
पर कोई नहीं,
हर दिन थोड़े ही न
एक सा रहता है।
किसी दिन उमीदों की
असफलताओं पे रोता है,
या कभी दिल की चोट पर
बेबस हो जाता है,
पर कोई नहीं,
हर दिन थोड़े ही न
एक सा रहता है।
क्योंकि कभी तो
ये भी उछलता है,
उड़ता है,
हंसता है,
खिलखिलाता है,
है कि नहीं?
जब किसी की
मीठी सी मुस्कान
दिल को छू जाती है,
जब किसी अपने की
मधुर याद सबकुछ
भुला देती है,
जब अनजाने बेउम्मीद किसी
परवाह से धूल जाती है
सदियों की कालिख,
जब जरूरत के वक्त
कोई प्यार से साथ दे देता है,
और जब कोशिशों को
कामयाब होते देखती हैं आंखें,
तब इंसानियत पे
भरोसे के साथ साथ,
अपने आप पे भी हौसला
बुलंद हो जाता है,
तब इस दुनिया में
रंग दिखते हैं,
आशा नज़र आती है,
और दुख दर्द के समंदर को
पार करने की हिम्मत
फिर से दिल में
सराबोर हो जाती है।
तो कोई नहीं,
आज नहीं है,
तो कल होगा,
क्योंकि -
हर दिन थोड़े ही न
एक सा रहता है।
-- नयन
बृहस्पतिवार, १३ अगस्त, २०२०
कोयंबतूर
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