मूसलाधार गिरती है बारिश,
हवाएं तेज हैं बह रहीं,
भीग उसमे चलता जाता
हौसलों से बुलंद एक दल,
और आगे चलता एक इंसान!
क्या देख रहा हूं मैं!
नदी बहे, देश न लड़े,
खुशहाल हो जन - जन,
किसान का जीवन हो आसान।
रुक न सकते, हो रही है देर -
कहते हैं वो, फिर निकल पड़ते!
क्या देख रहा हूं मैं!
एक दिन का प्यार नहीं,
ये बारह साल का संकल्प है!
लगे रहो, मेरे साथ रहो -
लोगों को, सरकारों को
वो याद बार - बार दिलाते हैं !
क्या देख रहा हूं मैं!
गोद में जिसकी खेला था मैं,
बड़ा हुआ जिसकी आंचल में,
तड़प रही वो हम से ही आज!
देखो - देखो वो मर रही!
पुकार रही है कावेरी मैया,
दिल है हममें सुनने को?
ये और विकल्प नहीं,
आन पड़ी जरूरत है अब।
आने वाली पीढ़ियों को
कैसा जीवन देंगे हम -
हल का हिस्सा बनने को वो कहते!
क्या देख रहा हूं मैं!
कावेरी मां को देंगे नई जान
लगाता हूं दाव पे शेष जीवन!
मांगे वो हमारा जीवन कर्म!
बच्चे, बूढ़े और जवान -
जुड़ते जाते उनकी पुकार पे!
क्या देख रहा हूं मैं!
नयन,
८ सितम्बर २०१९
सुबह ६:१०
बेंगलुरु
मैं एक नदी को कैसे बचा सकता हूं ?
बच्चे, बूढ़े और जवान आगे आ रहे हैं...
आप किसका इंतज़ार कर रहे है?
कावेरी को बचाने के लिए साथ आइए
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