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Monday, September 9, 2019

মাই হার্ট বিটস ফর কাবেরী! My heart beats for Cauvery #CauveryCalling

আবেগ ভরা কণ্ঠ ওনার,
"এগিয়ে এসো, আর করো না দেরি"!
মৃত্যু শয্যায় মা যে মোদের,
"মাই হার্ট বিটস ফর কাবেরী"!

শুনে ওনার এই আওহান,
ঝাঁপিয়ে পড়ে বৃদ্ধ ও জোয়ান,
দিয়ে সাড়া শিশু, তরুণ, তরুণী,
ঢেলে দেয় তারা প্রাণ!

বহু কাল ধরে বইছে এ জল,
জীবন দায়িনি স্নিগ্ধ শীতল,
যার ছায়ায় হলাম বড়, দিলাম
তারই কোলে মরণ খাঁড়া!

একি হায়! কর্তব্য ভুলে,
দিলাম আঘাত জীবনের মূলে!
ডাকে যে কাবেরী মা,
হৃদয় আছে কি তোমার শোনার?

সে যে ডাক দিয়েছে কোন সকালে,
বেহুঁশ মোরা, ঘনিয়ে যে সন্ধ্যে এলো!
জেগে ওঠো, দাও যোগ, কাবেরীকে
বাঁচাতেই হবে, এবার তো খোলো চোখ!

এক দিনের প্রেম নয়,
এ বারো বছরের পণ!
আমার সঙ্গে থাকো, ধরো হাত,
লাগাই আমার শেষ জীবন!

বলে চলেন উনি, কাবেরীর প্রতি
জীবনের সকল কর্ম ঢালো দেখি,
মেয়ে শিশু জন্মালে তোমাদের ঘরে,
কথা দাও, ডাকবে তাকে কাবেরী!

নয়ন,
সোম, ৯ সেপ্টেম্বর, ২০১৯
কোয়েম্বাটোর

আমি কী করে একটি নদীকে বাঁচাতে পারি?
তরুণ, তরুণী, শিশু ও বৃদ্ধ, সকলে এগিয়ে আসছেন...
আপনি কার অপেক্ষায় আছেন?

কবেরিকে বাঁচাতে সঙ্গে আসুন।
এই লিংকে নিজের অভিযান শুরু করুন।
cauverycalling.org

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Either Donate trees or Become a Fundraiser and reach out to your friends and family for Saving Cauvery river!

Sunday, September 8, 2019

क्या देख रहा हूं मैं! What am I witnessing! #CauveryCalling

मूसलाधार गिरती है बारिश,
हवाएं तेज हैं बह रहीं,
भीग उसमे चलता जाता
हौसलों से बुलंद एक दल,
और आगे चलता एक इंसान!
क्या देख रहा हूं मैं!

नदी बहे, देश न लड़े,
खुशहाल हो जन - जन,
किसान का जीवन हो आसान।
रुक न सकते, हो रही है देर -
कहते हैं वो, फिर निकल पड़ते!
क्या देख रहा हूं मैं!

एक दिन का प्यार नहीं,
ये बारह साल का संकल्प है!
लगे रहो, मेरे साथ रहो -
लोगों को, सरकारों को
वो याद बार - बार दिलाते हैं !
क्या देख रहा हूं मैं!

गोद में जिसकी खेला था मैं,
बड़ा हुआ जिसकी आंचल में,
तड़प रही वो हम से ही आज!
देखो - देखो वो मर रही!
पुकार रही है कावेरी मैया,
दिल है हममें सुनने को?

ये और विकल्प नहीं,
आन पड़ी जरूरत है अब।
आने वाली पीढ़ियों को
कैसा जीवन देंगे हम -
हल का हिस्सा बनने को वो कहते!
क्या देख रहा हूं मैं!

कावेरी मां को देंगे नई जान
लगाता हूं दाव पे शेष जीवन!
मांगे वो हमारा जीवन कर्म!
बच्चे, बूढ़े और जवान -
जुड़ते जाते उनकी पुकार पे!
क्या देख रहा हूं मैं!

नयन,
८ सितम्बर २०१९
सुबह ६:१०
बेंगलुरु

मैं एक नदी को कैसे बचा सकता हूं ?
बच्चे, बूढ़े और जवान आगे आ रहे हैं...
आप किसका इंतज़ार कर रहे है?

कावेरी को बचाने के लिए साथ आइए
इस लिंक पर स्वयं का अभियान शुरू कीजिए।
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