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Wednesday, December 17, 2014

in haewanon ko kya maloom

इन हैवानो को क्या मालूम























इन हैवानो को क्या मालूम
कहाँ खुदा का नूर है,
बेलगाम बेदर्दों ने किया
मासूम मुस्कानों को चूर है !

बदले की आग में जलने वाले
इन आतंकियों का यह कैसा जुनून ?
मासूम अंजान बच्चों का ये
कैसे? कैसे किया खून है ?

बदले की भावना का जवाब इनका,
बेहिचक बस सफ़ेद झूठ है !
सर-आँखों में गोली क्यों मारी ?
(गया) हौसला –भरोसा आज टूट है !

इन हैवानो का दिल न पसीजा ?
लज्जा न आई बेदर्दों को तब ?
(मासूम,) गोलियों से अंजान नन्हें जानों को,
नज़दीक से मारा सरों में जब !

पर्वतेगार का कैसे खाते हैं कसम ?
जिनका नाम ही है रहमोकरम !
दहशतगर्दों का न कोई कौम,
क़त्ल-ए-शौकीन ये रक्त-ए-हरम !

हमारे हौसलों को आज यहाँ
उठकर सामना करना होगा,
कूटनीति को तक पे रख
एक-साथ होकर आना होगा !

ज़हर हर जगह है जानलेवा,
आज यह ज़हन में लायें हम !
इंसानी जान है कीमती बहुत,
आयें (इसकी) हिफाज़त का भरे (हम) दम !

हुकूमतें आज समझ कर देखें,
लोगों की सच्ची ज़रूरतें हैं क्या !
लालच-बदले को दरकिनार कर,
इंसानियत को मौका दो भैया !

बस बहुत हो चूका मौत का माहौल,
दिलों के तार को जोड़ें अब हम !
नहीं चाहिए खौफ व दहशत,
आज हम सभी की हैं आँखें नम !

नयन
11:35 pm, 15th Dec 2014
Malaysia Township, Hyd

(pained at the massacre of innocent children at a School in Pakistan)


Bhaskar Jyoti Ghosh [Google+, FB]

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