इन हैवानो को क्या मालूम
इन हैवानो को क्या मालूम
कहाँ खुदा का नूर है,
बेलगाम बेदर्दों ने किया
मासूम मुस्कानों को चूर है !
बदले की आग में जलने वाले
इन आतंकियों का यह कैसा जुनून ?
मासूम अंजान बच्चों का ये
कैसे? कैसे किया खून है ?
बदले की भावना का जवाब इनका,
बेहिचक बस सफ़ेद झूठ है !
सर-आँखों में गोली क्यों मारी ?
(गया) हौसला –भरोसा आज टूट है !
इन हैवानो का दिल न पसीजा ?
लज्जा न आई बेदर्दों को तब ?
(मासूम,) गोलियों से अंजान नन्हें जानों को,
नज़दीक से मारा सरों में जब !
पर्वतेगार का कैसे खाते हैं कसम ?
जिनका नाम ही है रहमोकरम !
दहशतगर्दों का न कोई कौम,
क़त्ल-ए-शौकीन ये रक्त-ए-हरम !
हमारे हौसलों को आज यहाँ
उठकर सामना करना होगा,
कूटनीति को तक पे रख
एक-साथ होकर आना होगा !
ज़हर हर जगह है जानलेवा,
आज यह ज़हन में लायें हम !
इंसानी जान है कीमती बहुत,
आयें (इसकी) हिफाज़त का भरे (हम) दम !
हुकूमतें आज समझ कर देखें,
लोगों की सच्ची ज़रूरतें हैं क्या !
लालच-बदले को दरकिनार कर,
इंसानियत को मौका दो भैया !
बस बहुत हो चूका मौत का माहौल,
दिलों के तार को जोड़ें अब हम !
नहीं चाहिए खौफ व दहशत,
आज हम सभी की हैं आँखें नम !
नयन
11:35 pm, 15th Dec
2014
Malaysia Township, Hyd
(pained at the massacre of
innocent children at a School in Pakistan)
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