Nayan | WritersCafe.org

Tuesday, August 3, 2010

Dhadkanon ki Aawaaz!

कश्ती को साहिल चाहिए था
साहिल को लहरे चाहिए थी
लहरोँ को उफान चाहिए था
और उफान को समंदर में समाना था!

इंसान को मोहब्बत चाहिए थी
मोहब्बत को दिल चाहिए था
दिल को धरकन चाहिए था
और धरकन को खुदा की ख्वाइश में जीना था!

समंदर को बादलों से चिढ़ थी,
उसे उसके ऊपर का आसमां देखना था
बादल समंदर पर गरजते थे,
उन्हें उसकी गहराइयों से डर था!

बंदों को खुदा की खिदमत की ख्वाइश थी
तो खुदा को खुद बंदो से बंदगी!
इंसान खुदा को खोजते थे पहाड़ों और गुफ़ाओं में,
खुदा का नूर तो पहले से ही मौजूद थी मुहब्बतों में!

NAYAN.............................
Hyderabad, India................
Tuesday, 3rd August, 2010


© Bhaskar Jyoti Ghosh [Google+, FB]

3 comments:

  1. Which one is better?

    a)

    साहिल को लहरों की प्यास थी
    लहरों को समंदर की आस थी
    कश्ती लहरों पर झूमती थी
    कश्ती पर दिल, दिल को चूमती थी

    b)

    समंदर को लहरों की तलाश थी
    लहरों को चाँद की आस थी
    कश्तियाँ लहरों पर झूमती थीं
    लहरें ही साहिल की प्यास थी|

    .......................NAYAN....................
    .......................Hyderabad, India.........
    .......................Tuesday, 3rd August, 2010


    (c) Bhaskar Jyoti Ghosh (Do not copy without the author's consent and then without giving due credit to him)

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  2. Khatarnaak, bhaskar bhai khatarnaak.....

    Mazaa aa gayaa

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