कश्ती को साहिल चाहिए था
साहिल को लहरे चाहिए थी
लहरोँ को उफान चाहिए था
और उफान को समंदर में समाना था!
इंसान को मोहब्बत चाहिए थी
मोहब्बत को दिल चाहिए था
दिल को धरकन चाहिए था
और धरकन को खुदा की ख्वाइश में जीना था!
समंदर को बादलों से चिढ़ थी,
उसे उसके ऊपर का आसमां देखना था
बादल समंदर पर गरजते थे,
उन्हें उसकी गहराइयों से डर था!
बंदों को खुदा की खिदमत की ख्वाइश थी
तो खुदा को खुद बंदो से बंदगी!
इंसान खुदा को खोजते थे पहाड़ों और गुफ़ाओं में,
खुदा का नूर तो पहले से ही मौजूद थी मुहब्बतों में!
NAYAN.............................
Hyderabad, India................
Tuesday, 3rd August, 2010
© Bhaskar Jyoti Ghosh [Google+, FB]