मैं कौन हूं?
गलतियां क्यूं होती है मुझसे?
रोको इन्हें, ऎ मैं!
इन गलतियों की वजह से
तड़पते लोगों की आहें
नहीं सुनी जाती है और अब!
मैं कौन हूं?
क्यूं गुरुर है इतना मुझमें?
कि चीजों को इतनी सख्ती से लेता हूं,
जो लाभ के बजाय नुकसान कर देती है ज़्यादा!
कष्ट मुझसे देखा न जाता है अब और,
जो मेरे कर्मों से हैं भोग रहे!
मैं कौन हूं?
अपनी ही गलतियों का गिला
खाए जाती है मुझको,
पर फिर भी क्यों,
बदलता नहीं हूं मैं?
क्यूं चिढ़ता हूं अब भी
बाहर की घटनाओं से,
इंसान की हरकतों से?
मैं कौन हूं?
क्यूं धैर्य खो,
अस्थिर हो जाता हूं अब भी?
स्थितियों के उथल पुथल से
मैं भी क्यों
उबल जाता हूं कभी कभी?
बुद्धि और समझ -
क्या न है मुझमें?
हे मां!
करो मुझे स्थिरप्रज्ञा,
अचंचल, निर्मल और निरंजन।
जलाकर ज्योति, करो भंजन,
मेरे मन मंदिर का मैलापन!
मैं कौन हूं?
मैं क्यूं हूं?
दो उजाला,
तन मन भाव अंतरतम!
कि सजग रहूं, सचेतन बनूं,
हर पल, अपने कर्मों के प्रति।
- नयन
2:27pm, Tue 28th Aug 2018
Aarogya Hospital, Patna