जिसके पास तुम हो,
उसके पास ऊपर वाले का रहम है,
एक सच्चे दिल की कसम है,
और बिन मांगे मन्नत की रसम है!
जिसके पास तुम हो,
उसके पास खुदा का नूर है,
अपनापन का मिठास भरपूर है,
क्योंकि गुरूर उससे कोसों दूर है!
जिसके पास तुम हो,
उसके पास साथ चलने की चाह अपार है,
औ' दोस्ती व हिम्मत का भंडार है,
इसलिए तो खूब सारा प्यार है!
जिसके पास तुम हो,
उसके पास खुशनसीबी की दुआ है,
जलते अंगारों में भी उसे मलहम ने छुआ है,
तभी तो सच्चे प्यार का इज़हार हुआ है!
जिसके पास तुम हो,
उसे कभी न मिटने वाला वरदान है,
अनछुआ, खांटी सोने की खान है,
बड़ा ही अनमोल उसका जहान है!
-- भास्कर घोष
मंगल, 12 अगस्त 2025
रात 11:58 बजे, पटना
(ऊपर दिया गया चित्र perplexity ऐप द्वारा बनाई गई है)
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